26
इस जीवन की सच्चाई को,
सब विधि समझा देखा भाला |
करो स्वंय की खोज निरंतर,
मत बैठो जग में ठाला |
आंख मिचौनी खेल रहा है,
वह बाहर भीतर वाला |
बाधा, विघ्न लुप्त होते है,
जब हो गुरु अंकुश वाला |
27
मैं हूँ रंग सुरभि सुमनो का,
उपवन है ही हरियाला |
मैं रजनी का घोर तिमिर हूँ,
और प्रात: का उजियाला |
ऋतू बसंत की पवन सुगन्धित,
चंद्र प्रभा हूँ दूधियाला |
कोमल मधुर मृदुल हूँ मैं तो,
अनुपम आकृति छवि वाला |
28
सुगति मनोहर निर्झर की हूँ,
मैं पर्वत अविचल वाला |
मैं समुन्द्र की चपल बीचि हूँ,
भंवर भयंकर छल वाला |
सरिता का तट मन मोहक मैं,
शीतल जल कल कल वाला |
दृश्य सरोवर का मन भावन,
निर्मल नीर कमल वाला |
29
झाड़ी तीक्ष्ण शूल की हूँ मैं,
वृक्ष रसीले फल वाला |
हरा भरा उद्यान खेत हूँ,
मैं सुखकर मंगल वाला |
लतिका कुँज वाटिका हूँ मैं,
ऐंठन, सिकुड़न, बल वाला |
ध्रुव प्रदेश की कड़क शीत हूँ,
मैं मरुस्थल निर्जल वाला |
30
ज्ञान, कर्म, इन्द्रियां हूँ मैं,
अंतरतल निर्मल वाला |
शील, शक्ति, सौंदर्य समन्वित,
दृढ संकल्प अटलवाला |
कविता, ललित कला पावन हूँ,
मैं गायन स्वर लय वाला,
जप, तप, योग, यज्ञ, आहुति मैं,
वैदिक मंत्र अभय वाला |
31
साधन, वंदन, अर्चन हूँ मैं,
प्रातिभ शक्ति रमण वाला |
नाड़ी अष्ट कमल दल हूँ मैं,
षोडश मातृ, वर्णमाला |
मदन, इंद्रा, अश्वनी देव हूँ,
शेषनाग हूँ फन वाला |
सप्त ऋषि, मुनि, सतचित हूँ मैं,
सदा मग्न रहने वाला |
32
प्रखर सूर्य का महातेज हूँ,
वरुण देवता जल वाला |
मैं प्रलयंकर अग्नि शिखा हूँ,
मारुत हूँ हलचल वाला |
मैं यम, रूद्र, कुबेर काल हूँ,
निशि वासर, पल छिन वाला,
मैं नवगृह, नक्षत्र, धरा हूँ,
ध्रुव आसन अविचल वाला |
Please read Part 1, Part 2, Part 3, Part 5 and Part 6 of मेरा साकी मेरा हाला